दिल्ली का रामलीला मैदान का बाबा रामदेव के अनशन के लिए तैयार है। हजारों लोग बाबा के समर्थन में आगे आ रहे हैं, लेकिन ये कौन लोग हैं, जो बाबा के समर्थन में आ रहे हैं। लेकिन आम जनता का क्या? क्या वो इस लड़ाई में शामिल है?नहीं! क्योंकि आम आदमी तब तक बाबा रामदेव और अन्ना हजारे की लड़ाई में शामिल नहीं होगा, जब तक उसका खुद का जीवन बेहतर नहीं हो जाता।
शायद आप यहां कुछ भटक से गये होंगे, लेकिन सीधे शब्दों में बात करें तो बाबा रामदेव का 6 जून से शुरू होने वाला अनशन उस काले धन को वापस लाने के लिए है, जो विदेशी बैंकों में जमा है। इससे पहले अन्ना हजारे का अनशन भ्रष्टाचार को कम करने के लिए लोकपाल विधेयक बनाने के लिए किया गया था। लोकपाल विधेयक को बनाने की तैयारियां जोरों पर है। देश उसका इंतजार कर रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि बाबा रामदेव अगर काला धन वापस लाने के मुहिम में सफल हो भी गये, तो क्या लाखों की तादात में ग्रेजुएट हो रहे बेरोजगार युवकों को नौकरियां मिलेंगी? क्या गांव में बिजली पहुंचेगी? क्या पेट्रोल के आसमान छूते दाम जमीन पर आयेंगे? क्या दूध, दही, सब्जी, आटा के दाम कम होंगे? क्या गरीब घर के बच्चों को सेब जैसे महंगे फल नसीब हो सकेंगे? क्या सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौतों में कमी आयेगी? ऐसे हजारों सवाल हैं जो देश की जनता के मन में हर रोज उठते हैं।
आजादी के साठ साल बाद जिस विकास की इमारत को सामने देख सरकार खुद की पीठ ठोकती है, क्या उसे पता है कि इमारत को बनाने वाले मजदूर को 150 रुपए दिहाड़ी मिलती है। आज काम है कल नहीं, इस लिहाज से मजदूर की मासिक आय अधिकतम 3000 रुपए तक पहुंच पाती है। वहीं बंद हो रहीं फैक्ट्रियों से निकल रहे बेरोजगारों की कतारें तेजी से बढ़ रही हैं। इन सभी के बीच लूट-पाट, डकैती, छिनैती, राहजनी, आदि की वारदातें पुलिस की सूची में सर्वोच्च स्थान पर हैं।
अगर विदेशी बैंकों में जमा काला धन इन सब पर लगाम कस सके, अगर लोकपाल विधेयक आम जनता के इन सवालों का जवाब दे सके, तो बाबा रामदेव और अन्ना हजारे दोनों ही उनके लिए किसी भगवान से कम नहीं, लेकिन अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो स्पष्ट हो जायेगा कि दोनों ही गर्म तवे पर राजनीतिक रोटियां सेकने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। ??